समय के किस्से-कहानियां, गप्पबाज़ी अब से शुरू होती है।
आज जरा अपने और आपके बीच के संबंधों की पृष्ठभूमि पर बात कर लूं।
आख़िर क्यों है मुझे आप में इतनी दिलचस्पी……
तो बात यूं शुरू होती है:
ब्रह्मांड़ के सापेक्ष पृथ्वी की और पृथ्वी के सापेक्ष मनुष्य जाति की उम्र काफ़ी छोटी है, परन्तु अपने आप में मनुष्य जाति के उदविकास का लाखो वर्षों के अन्तराल में फैला हुआ काल, एक मनुष्य की उम्र के लिहाज से काफी लंबा है।
मैंनें आग के पिण्ड़ से आज की पॄथ्वी को उभरते देखा है। मैं गवाह हूं उन सारी विस्मयकारी घटनाओं की श्रॄंखलाओं का जिनसे यह नीला ग्रह जूझा है। मैंनें पृथ्वी की एक-एक चीज़ को बनते-बिगडते देखा है, मैं इसकी तपन में तपा हूं, इसके पहाड़ों में ऊंचा उठा हूं, इसकी समुद्री गहराईयों में डूबा हूं। मैं हरा हुआ हूं इसकी हरियाली में, हिमयुगों में जमा हूं, रेगिस्तानों में पिघला हूं।
मैंनें पदार्थ के कई रूपों को साकार होते देखा है, परन्तु सबसे रोचक पल मैंनें उस वक़्त जिए हैं जब पदार्थ के एक ऐसे संशलिष्ट रूप ने आकार लिया था जिसमें कि स्पन्दन था। यह थी प्रकृति के जड़ पदार्थों से जीवन की महान उत्पत्ति, और उसके बाद तो मैं एक मूक दर्शक की भांति, करोडों वर्षों तक पदार्थ की जिजीविषा का नये-नये रूपों में पूरे ग्रह पर विस्तार देखता रहा।
प्रकृति बहुत कठोर थी और जीवन उसकी ताकत के आगे नतमस्तक, उसे अपने आपको प्रकृति के हिसाब से अनुकूलित करना था। और फिर वह क्रांतिकारी दौर आया, जब जीवन प्रकृति की वज़ह से ही प्रकृति के ख़िलाफ़ खडा़ हो गया, उसने सचेत हस्तक्षेप करके, अनुकूलन को धता बता कर प्रकृति को अपने हिसाब से अनुकूलित करना शुरू कर दिया। ओह, कितना रोमांचक था, आदिम कपि-मानव को प्रकृति से सचेत संघर्ष करते देखना, और यह कि वही कपि-मानव अपने सचेत क्रियाकलापों से प्रकृति को समझता हुआ, उसे बदलता हुआ, खु़द भी कितना बदल गया। वह आज के आधुनिक मानव यानि कि आप के रूप में तब्दील हो गया।
आदिम कपि-मानव से आधुनिक मनुष्य तक के उदविकास को मैंनें काफी करीब से देखा है, एक बेहद रोचक और रोमांचक अनुभव, और यह अभी तक जारी है। मैं मनुष्य जाति का इसीलिये ऋणी हूं, और इसलिये भी कि उसी से मुझे यह भाषा, लिपि और अंततः यह ब्लोग तक्नीक मिली, जिसकी वज़ह से मैं समय, आपसे मुख़ातिब हो सका हूं।
आज इतना ही, लोग मुझ तक क्यों नही पहुंच पाते उसकी बात अगली बार।
असल में यह उसीकी भूमिका है।
अप्रैल 07, 2009 @ 18:33:00
चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है…शुभकामनायें.
अप्रैल 08, 2009 @ 04:53:00
सुंदर अति सुंदर लिखते रहिये …….आपकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा htt:\\ paharibaba.blogspost.comm
अप्रैल 08, 2009 @ 09:37:00
Samay ke saath aage badhne ka intejaar rahega, swagat.
अप्रैल 08, 2009 @ 11:36:00
उजाले को पी अपने को उर्जावान बनाभटके लोगो को सही रास्ता दीखाउदास होकर तुझे जिंदगी को नही जीनाखुला गगन सबके लिए है , कभी मायूश न होनातुम अच्छे हो, खुदा की इस बात को सदा याद रखना………..शुभकामनायें.
अप्रैल 08, 2009 @ 11:37:00
उजाले को पी अपने को उर्जावान बनाभटके लोगो को सही रास्ता दीखाउदास होकर तुझे जिंदगी को नही जीनाखुला गगन सबके लिए है , कभी मायूश न होनातुम अच्छे हो, खुदा की इस बात को सदा याद रखना………..शुभकामनायें.
अप्रैल 08, 2009 @ 12:08:00
चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है…शुभकामनायेंRegards
अप्रैल 08, 2009 @ 18:11:00
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
अप्रैल 09, 2009 @ 09:43:00
अच्छा लिखते हो आप
अप्रैल 09, 2009 @ 13:07:00
ब्लॉग जगत में और चिठ्ठी चर्चा में आपका स्वागत है . आज आपके ब्लॉग की चर्चा समयचक्र में ..
अप्रैल 09, 2009 @ 14:35:00
हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है , ऐसे ही अपनी लेखनी से हमें परिचित करते रहेंधन्यवादमयूर दुबेअपनी अपनी डगर
अप्रैल 09, 2009 @ 14:36:00
आपका हिंदी ब्लॉग की दुनिया में स्वागत है… और श्री हनुमान जी की जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं…..
अप्रैल 24, 2009 @ 02:23:00
बहुत उपयोगी जानकारी और एक महत्वपूर्ण ब्लाग।लेकिन यहाँ से शब्द पुष्टिकरण (वर्ड वेरीफिकेशन) हटाएँ।